पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – आठवीं
पाठ -१० ( कामचोर )
कामचोर प्रश्न अभ्यास (महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर )
प्र-1 कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’? किन के बारे में और क्यों कहा गया?
उ. कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ बच्चों के बारे में कहा गया है क्योंकि वे घर के कामकाज में जरा सी भी मदद नहीं करते थे तथा दिन भर खेलते-कूदते रहते थे।
प्र-2 बच्चों के उधम मचाने के कारण घर कि क्या दुर्दशा हुई?
उ. बच्चों के उधम मचाने से घर की सारी व्यवस्था ख़राब हो गई। मटके-सुराहियाँ इधर-उधर लुढक गए। घर के सारे बर्तन अस्त-व्यस्त हो गए। पशु-पक्षी इधर-उधर भागने लगे। घर में धुल, मिट्टी और कीचड़ का ढेर लग गया। मटर की सब्जी बनने से पहले भेड़ें खा गई। मुर्गे-मुर्गियों के कारण कपड़े गंदे हो गए।
प्र-3 ‘या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।’ अम्मा ये कब कहा और इसका परिणाम क्या हुआ?
उ. अम्मा ने बच्चों द्वारा किए गए घर की हालत को देखकर ऐसा कहा था। जब पिताजी ने बच्चों को घर के काम काज में हाथ बँटाने की नसीहत दी तब उन्होंने किया इसके विपरीत सारे घर को तहस-नहस किया। चारों तरफ़ समान बिखरा दिया, मुर्गियों और भेड़ों को घर में घुसा दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि काम करने के बजाए उन्होंने घर का काम कई गुना बढ़ा दिया जिससे अम्मा जी बहुत परेशान हो गई थीं। उन्होंने पिताजी को साफ़-साफ़ कह दिया कि या तो बच्चों से करवा लो या मैं मायके चली जाती हूँ। इसका परिणाम ये हुआ कि पिताजी ने घर की किसी भी चीज़ को बच्चों को हाथ ना लगाने की हिदायत दे डाली नहीं तो सज़ा के लिए तैयार रहने को कहा।
प्र-4 ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है ?
उ. यह एक हास्यप्रधान कहानी है। यह कहानी संदेश देती है की बच्चों को उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए। जिससे वे बचपन से ही रचनात्मक कार्यों में लगन तथा रूचि का परिचय दे सकें। उनके ऊपर बड़ों की जिम्मेदारी थोपना बचपन को कुचलना है। अतः बड़ों को चाहिए की समझदार बच्चा बनकर बच्चों के बीच रहें और उन्हें सही दिशा प्रदान करें।
प्र-5 क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगें ?
उ. बच्चों द्वारा लिया गया निर्णय उचित नहीं था क्योंकि स्वयं हिलकर पानी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कामचोर बना देगा। उन्हें काम तो करना चाहिए पर समझदारी के साथ। बच्चों को घर-परिवार के काम धंधों को आपस में बाँट कर, बड़ों से समझ कर पूरा करना चाहिए।
उन्हें अपने खाली समय का सदुपयोग करना चाहिए तथा रचनात्मक कार्यों में मन लगाते हुए परिवार-वालों का सहयोग करना चाहिए।