पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – चौथी
पाठ – ८ ( आ रही रवि की सवारी
1.कठिन शब्द पृष्ठ क्रमांक ६७ से स्वयं करें।
2.शब्दार्थ पृष्ठ क्रमांक ६७ से स्वयं करें।
3.निम्नलिखित शब्दों से वाक्य स्वयं बनाए।
१ पोशाक :-
२ रवि :-
३ अनुचर :-
४ राह :-
५ पक्षी :-
4.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें :-
प्रश्न – किसकी सवारी आ रही है ?
उत्तर -सूरज रूपी राजा की सवारी आ रही है।
प्रश्न – कौन कीर्ति गायन गा रहे हैं ?
उत्तर – सुर , असुर , पक्षी और मनुष्य कीर्ति गायन गा रहे हैं।
प्रश्न – रवि का पथ किससे सजा है ?
उत्तर – रवि का पथ कलियों और फूलों से सजा है।
प्रश्न – कविता का क्या नाम है ?
उत्तर – कविता का नाम ” आ रही रवि की सवारी ” है।
5.दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-
प्रश्न :- कविता में किसके बारे में चर्चा की गई है ?
उत्तर – आ रही रवि की सवारी कविता में सूरज की सजी धजी सवारी की बात की गई है। सूरज की सवारी जिस रास्ते से आ रही है ,वह रास्ता कलियों और फूलों से सजा है। सूरज की सवारी आते देखकर तारे आसमान को छोड़कर भाग रहे हैं , वहीं दूसरी तरफ सभी पक्षी और बंदीजन उसकी प्रतिष्ठा का गान गए रहे हैं। अंत में हम यह भी कह सकते हैं कि सीर्योदय का वर्णन करते हुए सूरज को राजा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कविता में सूर्य कि सुंदरता और प्रकृति कि परिवर्तनशीलता के सत्य को चित्रित किया गया है।
प्रश्न -रास्ते में भिखारी बन कर कौन खड़ा है और क्यों ?
उत्तर – रास्ते में भिखारी बनकर रात का राजा खड़ा है , कहने का भाव यह है कि चन्द्रमा रास्ते में खड़ा है क्योंकि सूरज कि सवारी आ रही है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि चन्द्रमा का स्वयं का प्रकाश नहीं है। वह सूरज से प्रकाश लेकर रात में चाँदनी प्रदान करता हैं। इसलिए चाँद को भिखारी की उपमा दी गई है।