कक्षा – आठवीं  बाल – महाभारत,पाठ – ७,८,९,१०,११

पैरागान कान्वेंट स्कूल
सैक्टर – 24 बी ,चंडीगढ़
कक्षा – आठवीं
बाल – महाभारत

प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 महाभारत की कथा किसकी देन है ?
उत्तर- महाभारत की कथा महर्षि पराशर के कीर्तिमान पुत्र वेद व्यास की देन है ।
प्रश्न-2 व्यास जी ने महाभारत की कथा सबसे पहले किसे कंठस्थ कराई थी?
उत्तर- व्यास जी ने महाभारत की कथा सबसे पहले अपने पुत्र शुकदेव को कंठस्थ कराई थी और बाद में अपने दूसरे शिष्यों को ।
प्रश्न- मानव जाति में महाभारत की कथा का प्रसार किसके द्वारा हुआ?
उत्तर – मानव जाति में महाभारत की कथा का प्रसार महर्षि वैशंपायन के द्वारा हुआ ।
प्रश्न-4 महर्षि वैशंपायन कौन थे?
उत्तर – महर्षि वैशंपायन व्यास जी के प्रमुख शिष्य थे ।
प्रश्न-5 किसके यज्ञ में सूत जी भी मौजूद थे?
उत्तर – महाराजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय के यज्ञ में सूत जी भी मौजूद थे ।
प्रश्न-6 सूत जी के द्वारा बुलाई गयी सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर – सूत जी के द्वारा बुलाई गयी सभा के अध्यक्ष महर्षि शौनक थे ।
प्रश्न-7 महाराजा शांतनु के बाद किसको हस्तिनापुर की गद्दी मिली?
उत्तर – महाराजा शांतनु के बाद उनके पुत्र चित्रांगद को हस्तिनापुर की गद्दी मिली ।
प्रश्न-8 बाद में हस्तिनापुर की गद्दी विचित्रवीर्य को क्यों दी गई?
उत्तर – चित्रांगद की अकाल मृत्यु के बाद उनके भाई विचित्रवीर्य को हस्तिनापुर की गद्दी दी गई ।
प्रश्न-9 विचित्रवीर्य के दो पुत्रों के नाम लिखो ।
उत्तर – विचित्रवीर्य के दो पुत्रों के नाम हैं – धृतराष्ट्र और पांडु ।
प्रश्न-10 धृतराष्ट्र ज्येष्ठ पुत्र थे फिर पांडु को गद्दी पर क्यों बिठाया गया?
उत्तर – धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे इसलिए उस समय की निति के अनुसार पांडु को गद्दी पर बिठाया गया ।
प्रश्न-11 पांडु की कितनी रानियाँ थीं? उनके नाम लिखें ।
उत्तर – पांडु की दो रानियाँ थीं – कुंती और माद्री ।
प्रश्न-12 पांडु अपनी दो रानियाँ के साथ जंगल क्यों गए?
उत्तर – पांडु अपनी दो रानियाँ के साथ अपने किसी अपराध के प्रायश्चित के लिए तपस्या करने जंगल में गए ।
प्रश्न-13 पांडु के कितने पुत्र थे?
उत्तर – पांडु के पाँच पुत्र थे ।
द्रोणाचार्य
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 द्रोणाचार्य को द्रुपद पर क्यों क्रोध आया?
उत्तर- द्रोणाचार्य को द्रुपद पर क्रोध उसकी कठोर गर्वोक्तियों को सुनकर आया।
प्रश्न-2 द्रुपद के कठोर वचनो को सुनकर द्रोण ने क्या निश्चय किया?
उत्तर- द्रुपद के कठोर वचनो को सुनकर द्रोण ने निश्चय किया कि वह अभिमानी द्रुपद को सबक सिखाएंगे और बचपन में जो मित्रता की बात हुई थी उसे पूरा करके चैन लेंगें।
प्रश्न-3 हस्तिनापुर के राजकुमारों की गेंद खेलते-खेलते कहाँ जा गिरी?
उत्तर – हस्तिनापुर के राजकुमारों की गेंद खेलते-खेलते एक कुएँ में जा गिरी।
प्रश्न-4 युधिष्ठिर की अँगूठी कुएँ में कैसे गिर पड़ी?
उत्तर – युधिष्ठिर कुएँ से गेंद को निकालने का प्रयत्न करने लगे, तो उनकी अँगूठी भी कुएँ में गिर पड़ी।
प्रश्न-5 द्रोणाचार्य ने किस प्रकार गेंद कुएँ से निकाली?
उत्तर – द्रोणाचार्य ने पास में पड़ी हुई सींक उठा ली और उसे पानी में फेंका। सींक गेंद को ऐसे जाकर लगी, जैसे तीर और फिर इस तरह लगातार कई सींकें वे कुएँ में डालते गए। सींकें एक – दूसरे के सिरे से चिपकती गईं। जब आखिरी सींक का सिरा कुएँ के बाहर तक पहुँच गया, द्रोणाचार्य ने उसे पकड़कर खींच लिया और गेंद निकल गई।
प्रश्न-6 द्रोणाचार्य ने अँगूठी किस प्रकार निकाली?
उत्तर – द्रोण ने धनुष चढ़ाया और कुएँ में तीर मारा। पलभर में बाण अँगूठी को अपनी नोक में लिए हुए ऊपर आ गया ।
लाख का घर
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 पांडवों को वारणावत भेजने में दुर्योधन की क्या सोच थी?
उत्तर- दुर्योधन ने पुरोचन से कह कर वारणावत में लाख का भवन बनवाया था । दुर्योधन की योजना थी कि कुछ दिनों तक पांडवों को लाख के भवन में आराम से रहने दिया जाए और जब वे पूर्ण रूप से निःशंक हो जाएँ, तब रात में भवन में आग लगा दी जाए, जिससे पांडव तो जलकर भस्म हो जाएँ और कौरवों पर भी कोई दोष न लगा सके ।
प्रश्न-2 कर्णिक नामक ब्राह्मण कौन था और उसने धृतराष्ट्र से क्या कहा?
उत्तर- कर्णिक नाम का एक ब्राह्मण था जो शकुनि का मंत्री था। उसने धृतराष्ट्र से कहा कि जो ऐश्वर्यवान है, वही संसार में श्रेष्ठ माना जाता है। यह बात ठीक है कि पांडव आपके भतीजे हैं, परंतु वे बड़े शक्ति संपन्न भी हैं। इस कारण से अभी से चौकन्ने हो जाइए। आप पांडु पुत्रों से अपनी रक्षा कर लिजिए , वरना पीछे पछताइएगा।
प्रश्न-3 पुरोचन कौन था?
उत्तर – पुरोचन दुर्योधन का मंत्री था।
प्रश्न- 4 दुर्योधन ने पांडवों को वारणावत के मेले में भेजने के लिए किस प्रकार अपने पिता धृतराष्ट्र पर दबाब डाला?
उत्तर – दुर्योधन ने धृतराष्ट्र पर दबाब डालने के लिए कुछ कूटनीतिज्ञों को अपने पक्ष में मिला लिया और वे बारी – बारी से धृतराष्ट्र के पास जाकर पांडवों के विरुद्ध उन्हें उकसाने लगे ।प्रश्न-5 पांडवों को भी वारणावत जाने की उत्सुकता क्यों हुई?
उत्तर – दुर्योधन ने पांडवों से कहा कि वारणावत में एक भारी मेला होनेवाला है, जिसकी सोभा देखते ही बनेगी। उनकी बातें सुन – सुनकर खुद पांडवों को भी वारणावत जाने की उत्सुकता हुई।
द्रौपदी-स्वयंवर
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 द्रौपदी कौन थी?
उत्तर- द्रौपदी पांचाल-नरेश की कन्या थी।
प्रश्न-2 द्रौपदी कहाँ की राजकुमारी थी?
उत्तर- द्रौपदी पांचाल देश की राजकुमारी थी।
प्रश्न-3 द्रौपदी के स्वयंवर के लिए राजा द्रुपद की क्या शर्त थी ?
उत्तर – द्रौपदी के स्वयंवर के लिए राजा द्रुपद की यह शर्त थी कि जो राजकुमार पानी में प्रतिबिंब देखकर उस भारी धनुष से तीर चलाकर उसपर टँगे हुए निशाने (मछली) को गिरा देगा, उसी को द्रौपदी वरमाला पहनाएगी।
प्रश्न-4 द्रौपदी के स्वयंवर में कौन-कौन से राजा शामिल हुए?
उत्तर – द्रौपदी के स्वयंवर के लिए दूर-दूर से अनेक वीर आए थे। जिनमें धृतराष्ट्र के सौ बेटे, अंग-नरेश कर्ण, श्रीकृष्ण, शिशुपाल, जरासंध आदि भी शामिल हुए थे।
प्रश्न-5 पाँचों भाई माता कुंती के साथ पांचाल देश में कहाँ रुके?
उत्तर – पाँचों भाई माता कुंती के साथ पांचाल देश में किसी कुम्हार की झोंपड़ी में रुके ।
प्रश्न-6 पांचाल देश में भी पांडव ब्राह्मण-वेश में ही क्यों गए?
उत्तर – पांचाल देश में भी पांडव ब्राह्मण-वेश में ही इसलिए गए जिससे उनको कोई पहचान न सके।
प्रश्न-7 राजा द्रुपद की शर्त को किसने पूरा किया और कैसे?
उत्तर – अर्जुन ने धनुष हाथ में लिया और उस पर डोरी चढ़ा दी। उसने धनुष पर तीर चढ़ाया और एक के बाद एक पाँच बाण उस घूमते हुए चक्र में मारे और हज़ारों लोगों के देखते-देखते निशाना टूटकर नीचे गिर पड़ा। इस प्रकार अर्जुन ने राजा द्रुपद की शर्त को पूरा किया।