पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – आठवीं
पाठ – १४ , अकबरी लोटा
पाठ का सार –
पंडित अन्नपूर्णानद जी ने इस कहानी में बताया है कि लाला झाऊलाल नामक व्यक्ति बहुत अमीर नहीं है। पर उन्हें गरीब भी नहीं कहा जा सकता। पत्नी के ढाई सौ रूपए माँगने तथा अपने मायके से लेने की बात पर अपनी इज्जत के लिये सात दिन में रुपये देने की बात की।
पाँच दिन बीतने पर अपने मित्र बिलवासी को यह घटना सुना कर पैसे की इच्छा रखी पर उस समय उनके पास रूपए न थे। बिलवासी जी ने उसके अगले दिन आने का वादा किया जब वह समय पर न पहुँचे तो झाऊलाल चिंता में छत पर टहलते हुए पानी माँगने लगे। पत्नी द्वारा लाये हुए नापसंद लोटे में पानी पीते हुए लोटा नीचे एक अंग्रेज पर गिर गया।
अंग्रेज एक लंबी चौड़ी भीड़ सहित आँगन में घुस गया और लोटे के मालिक को गाली देने लगा। बिलवासी जी ने बड़ी चतुराई से अंग्रेज को ही मुर्ख बनाकर उसी लोटे को अकबरी लोटा बताकर उसे 500 रूपए में बेच दिया। इससे रुपये का इंतजाम भी हो गया और झाऊलाल की इज्जत भी बच गई। इससे लाला बहुत प्रसन्न हुए उसने बिलवासी जी को बहुत धन्यवाद दिया।
बिलवासी ने पत्नी के संदूक से लाला की मदद के लिये निकले गए ढाई सौ रुपये उसके संदूक में वापस रख दिए फिर चैन की नींद सो गए।
प्रश्न अभ्यास –
प्रश्न 1 – “लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।’’ लाला झाउलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।
उत्तर – एक सभ्य मनुष्य अपनी पत्नी का सम्मान करता है। लाला झाउलाल सभ्य मनुष्य थे। कहानी में लाला झाउलाल छह दिनों तक भी रूपयों का इंतजाम नहीं कर पाए थे इसलिए वह बहुत दुःखी और शर्मिन्दा थे। और इसीलिए उन्होंने लोटा चुपचाप ले लिया और पानी पीने लगे।
प्रश्न 2 – “लाला झाउलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।’’ आपके विचार से लाला झाउलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?
उत्तर – लाला भीड़ को घर में घुसते देख ही समझ गए कि उनके हाथ से छूटा लोटा जरूर किसी पर गिरा है। जिसकी शिकायत लेकर ये भीड़ उनके घर में चली आ रही थी।
प्रश्न 3 – बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए।
उत्तर – बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध अपनी पत्नी के संदूक से चोरी करके निकाल कर किया था। यद्यपि चाबी उसकी पत्नी की सोने की चेन में बँधी रहती थी, पर उन्होंने चुपचाप उसे उतार कर ताली से संदूक खोल लिया था और रुपए निकाल लिए थे। बाद में वे रुपए चुपचाप वहीं रख भी दिए। पत्नी कुछ न जान पाई।
प्रश्न 4 – आपके विचार में अंग्रेज ने वह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।
उत्तर – अंग्रेज पुरानी ऐतिहासिक महत्त्व की चीज़े खरीदने के शौकीन होते हैं। उस अंग्रेज का एक पड़ोसी मेजर डगलस पुरानी चीज़ों में उससे बाजी मारने का दावा करता रहता था। उसने एक दिन जहाँगीरी अंडा दिखाकर कहा था कि वह इसे दिल्ली से 300 रुपए में लाया है। वह लोटा अकबरी था ही नहीं, बिलवासी ने उसे मूर्ख बनाया था। इस लोटे को दिखाकर वह मेजर डगलस को नीचा दिखाना चाहता था और स्वंय को श्रेष्ठ सिद्ध करना चाहता था।
प्रश्न 5 – पं. बिलवासी मिश्र कहाँ आते दिखाई पड़े? उन्होंने आते ही क्या किया? उन्होंने अंग्रेज के साथ किस प्रकार सहानुभूति प्रकट की?
उत्तर – पं. बिलवासी मिश्र भीड़ को चीरते हुए आँगन में आते दिखाई पड़े। उन्होंने आते ही पहला काम यह किया कि उस अंग्रेज को छोड़ कर बाकी जितने लोग थे सबको बाहर कर रास्ता दिखाया और फिर आगँन में कुर्सी रखकर उन्होंने उस अंग्रेज से कहा कि उसके पैर में शायद कुछ चोट आ गई है। इसलिए वह आराम से कुर्सी पर बैठ जाइए। जब पं. बिलवासी ने अंग्रेज को बैठने को कहा तो अंग्रेज बिलवासी जी को धन्यवाद देते हुए बैठ गया। लाला झाऊलाल की ओर इशारा करके अंग्रेज ने बिलवासी जी से पूछा कि क्या वे लाला को जानते हैं? बिलवासी बिलकुल मुकर गए और कहते हैं कि वे लाला को बिलकुल नहीं जानते और न ही वह ऐसे आदमी को जानना चाहते हैं जो राह चलते व्यक्तियों को लोटे से चोट पहुँचाए।