पैरागान कान्वेंट स्कूल
सैक्टर – २४ बी, चंडीगढ़
हिंदी कार्यपत्रिका ,कक्षा – 6
पाठ – 5 ( अक्षरों का महत्व )
1) कठिन शब्द :-
अक्षरों , करोड़ों , तादाद , अनादि , ईश्वर , जीव – जंतु , औजारों , वनस्पतियों , इस्तेमाल , प्रागैतिहासिक
2) शब्दार्थ :-
- घोतक – सूचक
- उकेरना – खोदकर निकालना
- अनादि काल – जो सदा से चला आ रहा हो
- प्रागैतिहासिक – इतिहास में वर्णित काल से पूर्व
- सिलसिला – क्रम
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न–अभ्यास
निबंध से
प्रश्न 1.पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई?
उत्तर–अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। अब आदमी अपने हिसाब–किताब को लिखकर रखने लगा, जिससे वह ‘सभ्य’ कहा जाने लगा। आदमी के लिखना आरंभ करने से ही इतिहास का आरंभ हुआ और एक पीढ़ी के विचार दूसरी पीढ़ी तक पहुँचने लगे। इसी के साथ विकास गति तेज़ हुई। इस प्रकार एक नए युग की शुरुआत हुई।
प्रश्न 2. अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखो।
उत्तर–अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग छह हजार वर्ष पहले शुरू हुआ। इससे पहले व्यक्ति चित्रों के द्वारा अपने भाव व्यक्त करता था। जैसे पशु–पक्षियों, आदमियों के चित्र। बाद में भाव–संकेत अस्तित्व में आए। इसके बाद अक्षरों की खोज हुई
प्रश्न 3.अक्षरों के ज्ञान से पहले मनुष्य अपनी बात को दूर–दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन–किन माध्यमों का सहारा लेता था?
उत्तर– मनुष्य अक्षरों की खोज करने से पूर्व अपने संदेशों को दूर–दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए चित्रों का सहारा लेता था। वह पशु–पक्षियों, आदमियों तथा अन्य वस्तुओं के चित्र बनाकर अपनी बात दूर–दूर के इलाकों में पहुँचाता था। बाद में इन चित्रों ने भाव संकेतों का रूप ले लिया और मनुष्य इनके माध्यम से अपनी बात पहुँचाने लगा।
प्रश्न 4 पुराने ज़माने में लोग यह क्यों सोचते थे कि अक्षर और भाषा की खोज ईश्वर ने की थी? अनुमान लगाओ और बताओ?
उत्तर–पुराने जमाने के लोग नहीं जानते थे कि अक्षरों की खोज किसने की है। उनका ज्ञान सीमित था। उनकी ईश्वर के प्रति निष्ठा अधिक थी। उन्हें यह भी अनुमान नहीं रहा होगा कि अक्षरों की खोज मानव भी कर सकता है। वे ईश्वर को सर्वशक्तिमान मानते थे। पुराने जमाने के लोगों का विचार रहा होगा कि मानव इतना ज्ञानवान नहीं हो सकता कि वह अक्षरों की खोज कर सकता है। इसलिए वे सोचते होंगे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की थी।