पाठ – १४ ( लोकगीत )

पाठ – १४ ( लोकगीत ) शब्दार्थ १. लोच – लचीलापन २.झांझ – कांसे की दो तश्तरियों से बना नाट्य यंत्र ३ करताल – एक तरह का बाजा ४ हेय – हीन ५ ओजस्वी – प्रभावपूर्ण ६ सिरजती – बनती ७ कृत्रिम – बनावटी ८ बखान – वर्णन ९ विरह – अलग होने का दुःख […]

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