पैरागान कान्वेंट स्कूल
सैक्टर – बी ,चंडीगढ़
कक्षा – आठवीं ( हिंदी कार्यपत्रिका )
पाठ – पाँच ( चिठियों की अनूठी दुनिया)
1.कठिन शब्द
1 .सिलसिला 8 सूक्ष्मता
2.केंद्रित 9उत्सकुता
3 हरकारे 10अनुसंधान
4 पुरखों
5सँजोकर
6पाठ्यक्रमों
7 आवा–जाही
- शब्दार्थ
1 आयामी: हर तरफ 2 आलीशान: शानदार
3 दुर्गम: कठिन रास्ते 4 ढाँणियों: कच्चे मकानों की बस्ती
5 बेसब्री: अधीरता 6 उन्नत: बढ़ते
7 प्रकाशित: छापना 8 तथ्यों: हकीकत
9 मनोदशा: मन की दशा 10 लेखा–जोखा: हिसाब–किताब
11 प्रेरक: प्रेरणा देने वाले 12 मुस्तैद: तत्पर
13 प्रशस्तिपत्र: प्रशंसा पत्र 14 दिग्गज: महान
15 जमीनी: वास्तविक 16 हस्तियों: नामी लोग
17अनुसंधान: खोज 18 हरकारे: दूत
3 .पाठ का सार
लेखक ‘पत्र’ की महत्ता बताते हैं की आज का युग वैज्ञानिक युग है। मनुष्य के पास अनेक संचार के साधन हैं फिर भी मनुष्य पत्रों का सहारा जरूर लेता है। वे कहते हैं इनके नाम भी भाषा के अनुसार अलग–अलग हैं। तेलगू में उत्तरम, कन्नड़ में कागद, संस्कृत में पत्र, उर्दू में खत, तमिल में कडिद कहा जाता है। आज भी कई लोग अपने पुरखों के पत्र सहेजकर रखें हैं। हमारे सैनिक अपने घर वालों के पत्रों का इंतजार बड़ी बेसब्री से करते हैं।
उन्होंने यह बताते हुए कहा है कि आज भी सिर्फ भारत में प्रतिदिन साढ़े चार करोड़ पत्र डाक में डाले जाते हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी पत्र के महत्त्व को माना है। लेखक कहते हैं कि २०वीं शताब्दी में पत्र केवल संचार का साधन ही नहीं अपितु एक कला मानी गई है। इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया तथा कई पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई। लेखक का मानना है इस संसार में कोई ऐसा मनुष्य नहीं होगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा हो।
पत्र सिर्फ एक संचार माध्यम ही नहीं हैं, ये मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं। मोबाइल से प्राप्त एसमएस तो लोग मिटा देते हैं परन्तु पत्र हमेशा सहेज कर रखते हैं। आज भी संग्रहालय में महान हस्तियों के पत्र शोभा बने हुए हैं। महात्मा गांधी के पास पूरे विश्व से पत्र आते थे और वे उनका जवाब तुरंत लिख देते थे। ‘रवीन्द्रनाथ टैगोर’ और ‘महात्मा गांधी’ के पत्र व्यवहार को “महात्मा और कवि” के शीर्षक से प्रकाशित किया गया है।
भारत में पत्र व्यवहार की परम्परा बहुत पुरानी है। सरकारी की अपेक्षा घरेलु पत्र मुख्य भूमिका निभाते हैं क्योकि ये आम लोगो को जोड़ने का काम करते हैं। चाहे गरीब हो या अमीर सभी को अपने प्रियजनों से प्राप्त पत्र का इन्तजार रहता है। गरीब बस्ती में तो मनीऑर्डर लेकर आने वाले डाकिए को लोग देवता समझते हैं। अंत में वे कहते हैं कि अत्यधिक संचार साधनों के होने के बावजूद भी पत्रों की अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रश्न – उत्तर
प्र॰1 पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता?
उत्तर – पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश नही दे सकता क्योंकि पत्र जो काम कर सकते हैं, वह नये जमाने के संचार के साधन नहीं कर सकते। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केंद्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों ने अनूठी भूमिका निभाई है।
प्र॰2 पत्र को खत, कागद, उत्तरम्, जाबू, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए।
उत्तर – पत्र को उर्दू में खत और चिट्ठी, सस्ंकृत में पत्र, कन्नड़ में कागद, तेलुगु में उत्तरम्, जाबू और लेख, हिंदी में पाती तथा तमिल में कडिद कहा जाता है।
प्र॰3 पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या–क्या प्रयास हुए? लिखिए।
उत्तर – पत्र लेखन की कला के विकास के लिए निम्न प्रयास हुए। डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने के लिए विशेष प्रयास किए गए। पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयवुर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया।
प्र॰4- पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।
उत्तर – आज देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अपने पुरखों की चिट्ठियों को सहेज और सँजोकर विरासत के रूप में रखे हुए हों, पत्रों को तो आप सहजेकर रख लेते हैं पर एसएमएस सदेंषां को आप जल्दी ही भूल जाते हैं। कितने संदेशों को आप सहेजकर रख सकते हैं? तमाम महान हस्तियों की तो सबसे बड़ी धरोहर उनके द्वारा लिखे गए पत्र ही हैं। भारत में इस श्रेणी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सबसे आगे रखा जा सकता है। दुनिया के तमाम संग्रहालय में जानी मानी हस्तियों के पत्रों का अनूठा संकलन भी हैं। इसलिए कहा जाता है कि पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस नहीं।
प्र॰5 क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई–मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उत्तर – चिट्ठियों की जगह कभी फैक्सए ई-मेलए टेलीफ़ोन तथा मोबाइल नहीं ले सकते है क्योंकि यह सब वैज्ञानिक युग के हैंए जो मानव के लिए बहुत महत्त्व रखते है परन्तु ये कभी भी पत्रों का स्थान नहीं ले सकते। जितना प्रेम और अपनापन हमे पत्रों में लिखित एक-एक शब्द द्वारा मिलता है वह इन विकसित संचार साधनो द्वारा नहीं। इसलिए ये कभी भी चिट्ठियों का स्थान नहीं ले सकते।