कक्षा – पाँचवीं पाठ -८ ( हम सब सुमन एक उपवन के )

पैरागान कान्वेंट स्कूल

कक्षा – पाँचवीं

पाठ -८ ( हम सब सुमन एक उपवन के )

1 कठिन शब्द पृष्ठ क्रमांक ६९ से स्वयं करें।

2 शब्दार्थ पृष्ठ क्रमांक ६९ से स्वयं करें।

3 निम्नलिखित शब्दों से वाक्य स्वयं करें।

१. गगन :-

२ उपवन :-

३ मिट्टी :-

४ किरणें :-

५ सुगंध :-

4.लघु उत्तरीय प्रश्न

 

(क) हम सब किसके नीचे पल कर बड़े हुए हैं?

उ० हम सब आकाश के नीचे पलकर बड़े हुए हैं।

 

(ख) हम सबको जीवनदायिनी प्रकाश कौन देता है?

उ० हम सबको जीवनदायिनी प्रकाश सूर्य देता है।

 

(ग) एक सूत्र में बँधकर हमने क्या बनाना सीखा हैं?

उ० एक सूत्र में बँधकर हमने हार गले का बनना सीखा है

 

क) कविता का मूल भाव क्या है?

 

हम मनुष्य सब इस धरती पर पैदा हुए हैं और बड़े हुए हैं।हमारे रंग अलग अलग है परन्तु हम सब मिलकर इसकी शोभा बनाते हैं। सूरज चाँद सबका एक ही है। मुश्किल में भी हम सब ने जीना सीखा है और एक साथ चलकर हंसना सीखा है। धनी तथा निर्धन तथा सभी धर्म के व्यक्ति इस धरती के ही हैं।

(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

 

रंग-रंग के रूप हमारे,

अलग-अलग हैं क्यारी-क्यारी,

लेकिन हम सबसे मिलकर ही ,

इस उपवन की शोभा  सारी।

उत्तर – कवि ने फूलों के माध्यम से इस कविता में बताया है की विभिन्न धर्मों के होते हुए भी हम सब एक साथ मिलकर रहते हैं। और  इस भारत रूपी उपवन की शोभा बढ़ाते हैं।