कक्षा – सातवीं ,  पाठ- १८  ( संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया : धनराज )

पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – सातवीं

पाठ- १८

( संघर्ष के कारण मैं तुनुकमिजाज हो गया : धनराज )

शब्दार्थ

  • साक्षात्कार – आमने सामने बातचीत
  • विस्मय – हैरानी
  • दबदबा – रौब
  • संघर्ष – टक्कर देना
  • भावुक – भावनाओं में बहने वाला
  • विनम्रता -नरमी के साथ
  • कृत्रिम – बनावटी
  • शोहरत – प्रसिद्धि
  • आर्थिक – धन संबंधी
  • फैन – प्रशंसक

1.उत्तर – साक्षात्कार पढ़कर हमारे मन में धनराज पिल्लै की जो छवि उभरती है वह इस प्रकार है :-

धनराज पिल्लै  एक स्वाभिमानी व्यक्ति है। उसने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया।  वह अपने आप को बहुत  असुरक्षित महसूस करता था। अतः उनके स्वभाव में तुनुकमिजाजी आ गई थी।  वह अपनी भाभी और माँ का बहुत सम्मान करता है। वह देश के लिए खेलने पर गर्व महसूस करता है।  अपने रंग रूप को लेकर हीनता का शिकार हुआ , लेकिन वह अब उससे ऊबर  चुका है।

2.उत्तर – धनराज पिल्लै ने जमीन से उठकर आसमान तक का सफर  धैर्यपूर्ण सम्पन्न किया। उनका जन्म पुणे की तंग गलियों में हुआ।  उनका परिवार  बहुत  गरीब था इसलिए उनका बचपन मुश्किलों में बीता।  उन्हें हॉकी खेलने का बहुत शौक  था परन्तु हॉकी स्टिक खरीदने के लिए उनके पास पैसे  नहीं थे। वे अपने दोस्तों से स्टिक मांग कर खेलते  थे।  सबसे पहली हॉकी स्टिक उनको अपने भाई से मिली। वे पढ़ने में बहुत फिसड्डी थे परन्तु हॉकी के  शौक  ने उन्हें जमीन से उठाकर आसमान का  सितारा बना दिया। इसके लिए उन्हें जूनियर और सीनियर की हॉकी टीमों में खेलना पड़ा। उन्हें पहली कार महिंदा ग्रुप ने दी थी जो सैकिंड हैंड  थी। अब तक हॉकी का सितारा मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर करता था। बाद में उसने लोन और अपनी कमाई से फोर्ड आइकॉन खरीदी। हॉकी ने उन्हें बहुत कुछ  दिया।  बहुत से अभिनेता और अभिनेत्रियों ने उनके खेल की प्रशंसा की। इस प्रकार वे आसमान का सितारा बन गए।

3.उत्तर – धनराज पिल्लै  की इस बात का अर्थ है  कि उनकी माँ ने उन्हें विनम्र रहने के संस्कार दिए। . प्रायः लोग प्रसिद्धि से पगला जाते हैं। और इसे सहज भाव से स्वीकार नहीं कर पाते। धनराज पिल्लै के व्यक्तित्व के निर्माण में  उनकी माँ का  विशेष योगदान रहा है। वे अपनी माँ के प्रति बहुत  सम्मान का भाव रखते थे।

प्रश्न 4.ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।
उत्तरध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्योंकि जैसे जादूगर अपने दावपेंचों से हमारी ही आँखों के सामने न जाने क्या-क्या करतब कर दिखाता है और हम दाँतों तले उँगली दबा लेते हैं वैसे ही ध्यानचंद भी हॉकी खेलने में माहिर हैं। कोई भी ऐसा दावपेंच नहीं जो उन्हें न आता हो। कोई भी हॉकी में उन्हें मात नहीं दे सकता।

प्रश्न 5किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल कहा जाता है?
उत्तर-हॉकी का खेल काफ़ी पहले ज़माने से भारत में खेला जाता रहा है। इसे राजा-महाराजाओं से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी बड़े चाव से खेला करते थे। आज भी इस खेल के प्रति रुचि देश एवं विदेशों में बना हुआ है। इस खेल को खेलने में अधिक पैसों की जरूरत नहीं पड़ती है। पुराने जमाने के लोग पेड़ों की टहनियों से इस खेल को खेला करते थे। यह खेल वर्षों से लगातार आगे ही बढ़ता जा रहा है। यह सीमित संसाधन में खेला जाने वाला खेल है। इसलिए इसे भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है।