पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – आठवीं
पाठ – 18( टोपी )
पाठ सार –
यह कहानी एक गौरैया के जोड़े की है। उन दोनों में बहुत प्रेम था। एक-दूसरे के बगैर वे कोई भी काम नहीं करते थे। एक बार मादा गौरैया ने किसी मनुष्य को कपड़े पहने देखा तो उसकी प्रशंसा की परंतु नर गौरैया ने कहा कि वस्त्रों से मनुष्य सुन्दर नहीं लगता, वह तो मनुष्य के वास्तविक सौंदर्य को ढाक लेता है। परन्तु मादा गौरैया को टोपी पहनने का मन करता है, नर गौरैया कहता है कि हमें वस्त्रों की कोई आवश्यकता नहीं हम तो ऐसे ही ठीक हैं। मगर मादा गौरैया अपनी जिद की पक्की थी, उसने निश्चय कर लिया था कि वह टोपी बनवाकर ही रहेगी।
एक दिन उसे रूई का टुकड़ा मिला, जिसे पहले वह धुनिया के पास ले जा कर धुनवाती है, फिर सूत कतवाने के लिए कोरी के पास ले जाती है तथा दोनों को बनवाई आधा-आधा हिस्सा मजदूरी दे देती है। गौरैया धागा बनवाने के बाद बुनकर के पास जाती है और बुनकर को कपड़े का आधा हिस्सा मजदूरी देकर तथा अपना कपड़ा लेकर दर्जी के पास जाती है तथा उसे भी उसकी मजदूरी देकर, उससे दो टोपियाँ बनवा लेती है। दर्जी ने खुश हो कर उसकी टोपी में पाँच ऊन के फूल भी लगा दिए।
चिड़िया की टोपी बहुत सुन्दर बनी थी। चिड़िया के मन में राजा से मिलने की इच्छा उत्पन्न हुई, तो वह राजा के महल की ओर उड़ चली। चिड़िया राजा के महल पहुँची, तो राजा छत पर मालिश करवा रहा था। चिड़िया ने राजा का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। राजा को क्रोध आ गया। उसने अपने सैनिकों को उस चिड़िया को मारने के लिये कहा पर सैनिकों ने उसे मारा नहीं राजा के कहने पर उसकी टोपी छीन ली।
राजा उसकी सुन्दर टोपी देखकर हैरान था कि उस चिड़िया के पास इतनी सुन्दर टोपी कहाँ से आई। राजा हैरान था की इतनी सुन्दर टोपी किसने बनाई। उसने अपने सेवकों द्वारा उस दर्ज़ी को बुलवाया। दर्जी ने टोपी सुन्दर बनने का कारण अच्छा कपड़ा बताया। इस प्रकार क्रमशः बुनकर, कोरी व धुनिया को बुलावा भेजा। उन्होंने बताया की उन्होंने बहुत अच्छा काम इसलिए किया है क्योंकि उन्हें मजदूरी बहुत अच्छी मिली थी।
चिड़िया ने राजा को कहा कि उसने सारा कार्य पूरी कीमत चुकाकर करवाया है। वह राजा पर आरोप लगाती है कि राजा कंगाल है, तभी प्रजा को बहुत सताता है, उन पर कर लगाता है और तभी उसने उसकी टोपी भी छीन ली है क्योंकि वह खुद इतनी अच्छी टोपी नहीं बनवा सकता। राजा को अपनी पोल खुलने का डर हो जाता है इसलिए वह चिड़िया की टोपी वापस कर देता है। चिड़िया राजा को डरपोक-डरपोक कहती हुई निकल जाती है।
प्रश्न-अभ्यास –
प्रश्न-1 गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?
उत्तर – गवरइया और गवरा के बीच मनुष्य द्वारा पहने गए कपड़ों को लेकर बहस हुई। गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर, एक रुई का फाहा मिलने से मिला। जिससे उसने टोपी बनवाई और अपनी इच्छा पूरी की।
प्रश्न-2 गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।
उत्तर –गवरइया – मनुष्य वस्त्र पहनकर कितने सुन्दर लगते हैं।
गवरा – ख़ाक सुन्दर लगते हैं।
गवरइया – लगता है आज लटजीरा चुग गए हो?
गवारा – कपड़े पहनने से आदमी की कुदरती खूबसूरती ढक जाती है।
गवरइया – कपड़े मौसम की मार से बचने के लिए पहनता है आदमी।
गवरा – कपड़े पहन-पहन कर मनुष्य मौसम की मार सहन करने की क्षमता भी खोता जा रहा है।
गवरइया – मनुष्य नित नए कपड़े सिलवाता है, इसमें कुछ तो खास होगा।
गवरा – कुछ खास नहीं निरा पोंगापन है।
गवरइया – मुझे मनुष्य की टोपी बहुत पसंद है।
गवरा – टोपी के चक्कर में पड़कर इन्सान अपनी इंसानियत खो देता है, अतः तू इस चक्कर से अलग रह।
गवरइया – मुझे तो हर कीमत पर टोपी चाहिए।
प्रश्न-3 टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस-किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।
उत्तर – टोपी बनवाने के लिये गवरइया पहले धुनिया के पास रुई धुनवाने के लिए गई, फिर वह कोरी के पास तकवाने के लिये गई, इसके बाद बुनकर के पास कपड़ा बुनवाने के लिये और अंत में दर्जी के पास टोपी सिलवाने के लिये गई। तब उसकी टोपी तैयार हुई।
प्रश्न-4 गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?
उत्तर – गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने इसलिये जड़ दिए क्योंकि उसने दर्जी को मजदूरी के रूप में आधा कपड़ा दे दिया था। खुश होकर उसने टोपी को और सुन्दर बना दिया था।
प्रश्न-5गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?
उत्तर – आदमी के कपड़े पहनने की बात को लेकर ‘गवरइया’ और ‘गवरा’ में बहस हुई। गवरहया को आदमी का रंग बिरंगे कपड़े पहनना अच्छा लगता था। जबकि गवरा का कहना था कि कपड़े पहनने से आदमी की असली खुबसूरती कम हो जाती है, वह बदसूरत लगने लगता है।
एक दिन घूरे पर चुगते−चुगते गवरइया को रूई का एक फाहा मिला। उसने इसे धुनवाया, कपड़ा बुनवाया फिर टोपी सिलवाई इसी से उसे टोपी पहनने की इच्छा पूरी करने का अवसर मिला।:
प्रश्न 6 टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक−एक कार्य को लिखें।
उत्तर – टोपी बनवाने के लिए गवरइया रूई लेकर सबसे पहले धुनिया के पास गई। उसके बाद उत्साहित गवराइया एक कोरी के यहाँ घुनी रूई से सूत कातवाने गई। फिर वो सूत से कपड़ा बुनवाने के लिए एक बुनकर के पास गई । अन्तत: गवरइया कपड़ा लेकर टोपी सिलवाने के लिए एक दर्जी के पास गई। दर्जी ने उसके कपड़े से शर्त के अनुसार दो सुन्दर टोपियाँ सिल दी। एक टोपी उसने अपने पास रख ली तथा दूसरी टोपी गवरइया को दे दी। टोपी बनने के बाद दर्जी ने अपनी तरफ से उसमें पाँच फुँदने भी लगा दिए।