पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – आठवीं
पाठ – ६ ( भगवान के डाकिए )
भगवान के डाकिए का भावार्थ –
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड
बाँचते हैं।
भगवान के डाकिए भावार्थ: भगवान के डाकिए कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि आसमान में तैरते बादल और पक्षी भगवान के डाकिए हैं। ये एक देश से उड़कर दूसरे देश तक जाते हैं और ख़ास संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। ये संदेश हम समझ नहीं पाते, लेकिन भगवान के संदेश को पर्वत, जल, पेड़-पौधे आदि बख़ूबी समझ लेते हैं।
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
भगवान के डाकिए भावार्थ: रामधारी सिंह दिनकर जी ने यहां हमें प्रकृति की महानता के बारे में बताया है। हम तो धरती को सीमाओं में बांट लेते हैं, लेकिन प्रकृति के लिए सब एक-समान हैं। इसीलिए एक देश की धरती अपनी सुगंध दूसरे देश को भेजती है। ये सुगंध पक्षियों के पंखों पर बैठकर यहां-वहां फैलती है और एक देश की भाप, दूसरे देश में पानी बनकर बरस जाती है।
प्र॰1 कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा है क्योंकि जिस तरह डाकिए लोगों के संदेशों को लेकर यहां-वहां जाते हैं, ठीक उसी तरह, ये दोनों भी भगवान के संदेशों को हम तक पहुँचाते हैं। उनके संदेशों को पढ़ना हमारे लिए भले ही मुश्किल हो, लेकिन पेड़-पौधे, पर्वत और धरती इन्हें आसानी से पढ़ लेते हैं। कवि ने इस कविता में हमें आपसी भेदभाव को भूलकर मिलजुलकर रहने की सीख भी दी है।
प्र॰2 पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।
उत्तर. पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को केवल पर्वत, पेड़-पौधे और पानी ही पढ़ पाते हैं क्योंकि वही उनकी भाषा को अच्छी तरह से समझते हैं।
प्र॰3 इन पंक्तियों का क्या भाव है-
क. पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
उत्तर. इस पंक्ति में कवि कह रहे हैं कि भगवान के डाकिए यानी पक्षी और बादल हमें मिलजुलकर रहने की शिक्षा देते हैं। वो किसी भी देश से भेदभाव नहीं करते और सबको प्यार व एकता से रहने का संदेश देते हैं।
ख. प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर. इस पंक्ति में कवि कहते हैं कि प्रकृति की नज़रों में सभी एक-समान हैं। वो किसी से भेदभाव नहीं करती, तभी तो एक देश से उठने वाली भाप दूसरे देश में बादल बनकर जाती है और प्यार-भरी बारिश कर देती है।
प्र॰4 पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेडे़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
उत्तर. पेड़-पौधे, पानी और पहाड़, पक्षी और बादल की चिट्ठियों में भगवान द्वारा भेजा गया एकता और सद्भावना का संदेश पढ़ पाते हैं। इस पर अमल करते हुए, नदी सबको अपना जल देती है, पहाड़ सबको आश्रय देता है और पेड़-पौधे भी सभी को एकसमान रूप से अपने फल-फूल और सुगंध देते।