पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – छह पाठ – ४ चाँद से थोड़ी सी गप्पें
शब्दार्थ :-
१ खूब – बहुत
२ तिरछा – टेढ़ा
३ चिट्टा – सफेद
४ जरा – कुछ
५ तारों जड़ा – रत्न जड़ित
६ सिम्त – दिशा
७ पोशाक – वस्त्र
८ निरा – सारा
८ बुद्धू – समझ न होना
पठित अवबोधन
1 संकेत – गोल ………………………………………………………………………..मटोल
१ प्रश्न – कवि और कविता का नाम लिखो ?
उत्तर – कवि का नाम शमशेर बहादुर सिहं तथा कविता का नाम चाँद से थोड़ी सी गप्पें है।
२ प्रश्न – बालिका को छान कैसा नजर आता है ?
उत्तर – बालिका को चाँद तिरछा नजर आता है।
३ प्रश्न – चाँद ने कैसे वस्त्र पहने हुए हैं ?
उत्तर चाँद ने तारों जड़ित आकाश रूपी वस्त्र पहने हुए हैं।
४ प्रश्न -चाँद का मुहं कैसा है ?
उत्तर – चाँद का मुहं गोलमटोल है।
५ प्रश्न – चाँद ने अपने वस्त्रों को कहाँ फैला रखा है ?
उत्तर – चाँद ने अपने वस्त्रों को चारों दिशाओं में फैला रखा है।
2 संकेत – वाह जी वाह ……………………………………………………………… आता ?
१ प्रश्न – चाँद को क्या बीमारी है ?
उत्तर -चाँद को घटने और बढ़ने की बीमारी है।
३ प्रश्न – चाँद कब तक दम नहीं लेता ?
उत्तर – चाँद तब तक दम नहीं लेता जबतक पूरा गोला ना हो जाए।
४ प्रश्न – चाँद का क्या कभी ठीक नहीं होगा ?
उत्तर – चाँद का मर्ज क़भी ठीक नहीं होगा।
५ प्रश्न – चाँद से गप्पें कौन लड़ा रहा है ?
उत्तर – चाँद से गप्पें दस – ग्यारह साल की लड़की लगा रही है।
प्रश्नोत्तर:
प्रश्न – कविता में ‘आप पहने हुए हैं कुल आकाश’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है?
उत्तर- :लड़की कहना चाहती है कि − चाँद तारों से जड़ी हुई चादर ओढ़कर बैठा है।
प्रश्न – ‘हमको बुद्धू ही निरा समझा है!’ कहकर लड़की क्या कहना चाहती है?
उत्तर – ‘हमको बुद्धू ही निरा समझा है!’ से लड़की का आशय है कि हम बुद्धू नहीं हैं कि यह न समझ सकें कि आप बीमार हैं। हम सब कुछ जानतें हैं, हम भी चतुर हैं।
प्रश्न -आशय बताओ −
‘यह मरज़’ आपका अच्छा ही नहीं होने में आता है।’
उत्तर- कवि यह कहना चाहता है कि चाँद को कोई बीमारी है जो कि अच्छा होता हुआ प्रतीत नहीं होता क्योंकि जब ये घटते हैं तो केवल घटते ही चले जाते हैं और जब बढ़ते हैं तो बिना रूके दिन प्रतिदिन निरन्तर बढ़ते ही चले जाते हैं। तब-तक, जब-तक ये पूरे गोल न हो जाए। कवि की नज़र में ये सामान्य क्रिया नहीं है।