कक्षा – पाँचवीं पाठ – १३ ( महान वैज्ञानिक : अल्बर्ट आइंस्टीन )

पैरागान कान्वेंट स्कूल

कक्षा – पाँचवीं

पाठ – १३ ( महान वैज्ञानिक : अल्बर्ट आइंस्टीन )

  • कठिन शब्द पृष्ठ क्रमांक ११० से स्वयं करें।
  • शब्दार्थ पृष्ठ क्रमांक ११० से स्वयं करें।
  • निम्नलिखित शब्दों से वाक्य स्वयं बनाएँ :-

१ वैज्ञानिक :-

२ नोबल :-

३ सिद्धांत :-

४ गुरुत्वाकर्षण :-

५  सम्मुख :-

  • सोचिए और बताइए :-

1.उत्तर :-आइंस्टीन का पहला शोधपत्र विद्युत् प्रभाव के प्लांक सिद्धांत पर आधारित था।

  • लघुउत्तरीय प्रश्न :-

2.उत्तर :- अल्बर्ट का जन्म सुबह 11: 30 बजे दक्षिणी जर्मनी के उल्म  शहर में हुआ।

3.उत्तर :- अल्बर्ट बचपन में शरीरिक रूप से सुदृढ़ नहीं थे।

4.उत्तर :- अल्बर्ट ने शुरू में एक कैथोलिक चर्च द्वारा चलाए गए स्कूल में पढ़ाई की।

5.उत्तर :- अल्बर्ट आंस्टीन की मृत्यु 18 अप्रैल 1955  में हुई।

  • दीर्घउत्तरीय प्रश्न :-

6.उत्तर :-शिशु अल्बर्ट का शरीरिक  गठन  बेडौल  था। उसका सर बहुत बड़ा था।  हाथ पेअर अपेक्षाकृत छोटे थे और जन्म के समय वह रोया भी न था।  अल्बर्ट का शरीरिक विकास सामान्य नहीं था। इन्ही चिंताओं को मन में पाले उनके माता पिता म्यूनिख आ गए।

जब वे पांच वर्ष के हुए तो स्कूल में भर्ती कराने की दौड़ शुरू हुई। परन्तु हरमन आइंस्टीन का परिवार यहूदी था और म्यूनिख में वे जिस इलाके में रहते थी वहाँ  दूर दूर तक यहूदियों के खिलाफ नफरत बढ़ने लगी। इसी कारण अल्बर्ट को किसी भी स्कूल में एडमिशन नहीं मिली।  बड़ी मुश्किल  से घर से दो किलोमीटर दूर  एक कैथोलिक चर्च द्वारा चलाए गए स्कूल में दाखिला मिला। वहाँ  भी शर्त यह थी  कि अल्बर्ट को लेटिन और ग्रीक कक्षाओं में बैठने नही दिया जाएगा सिर्फ जर्मन और गणित की ही पढ़ाई करनी होगी। इस प्रकार अल्बर्ट का जीवन कष्टों में बीता।

7.उत्तर :- अल्बर्ट के प्रकाशित शोधपत्रों में कुछ शोधपत्र प्रमुख थे जो निम्नलिखित हैं :-

१ पहला पत्र प्रकाश विद्युत् प्रभाव की प्लांक सिद्धांत के आधार पर व्याख्या करता है।

२ दूसरा पत्र  ब्राउनियन  गति पर आधारित था जिसमें अणुओं की मुक्त गति की व्याख्या की गई थी।

३ तीसरा पात्र पदार्थ व् ऊर्जा का प्रसिद्ध संबंध  था

8.उत्तर :-चौथे पत्र  में सापेक्षता के प्रमुख सिद्धांत को जाहिर किया गया था। यह एक कठिन थ्योरी है। आम भाषा में खा जाए तो ब्रह्मांड  के सारे घटक एक दूसरे के सापेक्ष गति में है।  जब हम कोई पिंड देखते हैं तो उसकी दृष्टव्य स्थिति , उसकी गति , उसकी दूरी और समय पर निर्भर करती है।