कक्षा – पांचवीं पाठ – 10 , पाठ – 11

पैरागान  कान्वेंट  स्कूल

कक्षा – पांचवीं

पाठ – १० ( बांसुरी वाला )

  1. कठिन शब्द और शब्दार्थ अपनी पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक ८४ और ८५ से स्वयं करें।
  2. रिक्त स्थान भरो :-

क) बहुत समय पहले की बात है।

(ख) राजा मणिक के राज्य में सभी प्रजा शांतिपूर्वक रह रही थी।

(ग) इन चूहों ने तो जीना हराम कर रखा है।

3.लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) गाँववालों का जीना हराम किसने कर रखा था?

उ० गाँववालों का जीना हराम चूहों ने कर रखा था

(ख) राजा ने बाँसुरीवाले को पहले कितनी अशरफ़ियाँ दीं?

उ०- राजा ने बाँसुरीवाले को पहले पचास अशरफ़ियाँ दीं।

4.दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(क) बाँसुरीवाले ने चूहों को गाँव से कैसे बाहर निकाला?

उ० बाँसुरीवाले ने चूहों को गाँव से बाँसुरी की धुन से बाहर निकाला

(ख) इस चित्रकथा से क्या शिक्षा मिलती है?

उ० इस चित्रकथा से शिक्षा मिलती है कि “हमें हमेशा किसी से किया वादा अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। अन्यथा परेशानी भी भुगतनी पड़ सकती है।”

 

 

 

 

पैरागान  कान्वेंट  स्कूल

कक्षा – पांचवीं

पाठ – 11 (सावन  )

  1. कठिन शब्द और शब्दार्थ अपनी पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 91 से स्वयं करें।

2.सोचिए और बताइए

(क) सावन में मेघ क्या करते हैं?

उ० सावन में मेघ झूम-झूमकर वर्षा करते हैं।

(ख) सावन का महीना अंग्रेज़ी महीने के अनुसार कब होता है?

उ० सावन का महीना अंग्रेज़ी महीने के अनुसार 15 जुलाई से 15 अगस्त तक होता है।

लिखित कार्य

3.लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) सावन में मौसम कैसा होता है?

उ० सावन में मौसम सुहावना होता है।

(ख) इस मौसम में कौन-कौन से जानवर प्रसन्न होकर आवाज़े निकालते हैं?

उ०इस मौसम में दादुर, झिल्ली, मोर और चातक जैसे जानवर प्रसन्न होकर आवाज़ें निकालते हैं।

(ग) किसको पकड़कर कवि का मन झूलने को करता है?

उ०- वारिश की धार पकड़कर कवि का मन झूलने को करता है।

(घ) कविता के रचयिता कौन हैं?

उ०- कविता के रचयिता सुमित्रानंदन पंत हैं।

  1. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(क) सावन का मौसम किस प्रकार जीवन में आनंद लाता है?

उ० – सावन के मौसम में मन काफ़ी प्रसन्न रहता है, नाचने, झूमने और वर्षा में भीगने आदि का मन करता है। इस प्रकार जीवन में आनंद की अनुभूति होती है।

(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

नाच रहे पागल हो ताली दे-दे चल-दल,

झूम-झूम सिर नीम हिलाती सुख से विह्वल ।

आशय- सावन आने पर बच्चे, जवान एवं बूढ़ों के दल तालियाँ बजा बजाकर नाचते हैं और नीम के पेड़ों की डालियाँ झूम-झूमकर सुख से भावुक होकर अपना सिर हिलाती हैं।