पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – सातवीं
पाठ -६ ( रक्त और हमारा शरीर )
1)शब्दार्थ
1.रक्त – खून
2.स्लाइड – काँच की छोटी सी पट्टी
3.दस्तक देना – खटखटाना
4.एनीमिया – खून की कमी से होने वाली बीमारी
5.भानुमति का पिटारा – अनेक वस्तुओं का संग्रह
6.पौष्टिक – पोषण से भरपूर
7.दूषित – गंदा
8.ब्लडबैंक – रक्त कोष
9.पीठ ठोकना – शाबाशी देना
पाठ से।
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.दिव्या को कौन-सी बीमारी थी?
उत्तर:दिव्या को एनीमिया नामक बीमारी थी।
प्रश्न 2.एक मिलीलीटर खून में कितने कण होते हैं?
उत्तर:एक मिलीलीटर खून में चालीस से पचपन लाख तक कण होते हैं।
प्रश्न 3.रक्तदान करने के लिए कम से कम कितनी उम्र होनी चाहिए?
उत्तर:रक्तदान करने के लिए कम से कम अट्ठारह वर्ष की उम्र होनी चाहिए।
प्रश्न 4 रक्त के सफेद कणों को वीर सिपाही क्यों कहा जाता है?
उत्तर:रक्त के सफेद कण हमारी रोगाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं, उनका डटकर मुकाबला करते हैं। संक्षेप में कहा जाए तो ये हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसीलिए इन्हें वीर सिपाही कहा जाता है।
प्रश्न 5.- रक्त की जाँच रिपोर्ट लेने कौन गया था?
उत्तर:रक्त की जाँच रिपोर्ट लेने दिव्या को भाई अनिल गया था।
प्रश्न 6डॉक्टर दीदी ने खून के कितने भाग बताए थे?
उत्तर:डॉक्टर दीदी ने खून के दो भाग बताए थे।
प्रश्न 7बिंबाणु क्या काम करते हैं?
उत्तर:बिंबाणु चोट लगने पर या कट जाने पर रक्त को जमाने में मदद करते हैं। रक्त के तरल भाग में एक खास तरह की प्रोटीन होती है जो रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। बिंबाणु इस जाले से चिपककर दीवार के दरार को भर देते हैं। जिससे रक्त का प्रवाह बाहर की ओर होना रुक जाता है।
प्रश्न 8 हमें रक्त का रंग लाल क्यों दिखाई देता है?
उत्तर:लाल रक्त-कणों की संख्या खून में सबसे ज्यादा होती है। इसी कारण हमें रक्त का कण लाल दिखाई देता है।
प्रश्न 9.एनीमिया किसे कहते हैं?
उत्तर:खून में लाल रक्त कणों की कमी से होने वाली बीमारी को एनीमिया कहते हैं। संतुलित आहार नहीं लेने से यह बीमारी होती है।
प्रश्न 10.रक्त के बहाव को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:रक्त के बहाव को रोकने के लिए चोट के स्थान पर कसकर एक साफ कपड़ा बाँध देना चाहिए जिसके दबाव से रक्त का बहना कम हो जाता है।
प्रश्न 11.एनीमिया रोग के क्या-क्या कारण हैं? इससे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:शरीर में लाल रक्त कणों की कमी से होने वाले रोग को एनीमिया कहते हैं। आमतौर पर इसे खून की कमी से होने वाला रोग कहा जाता है। मुख्य रूप से यह संतुलित आहार की कमी से होता है। इससे बचने के लिए भोजन में पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए। जिससे हमें प्रोटीन, आयरन तथा अन्य विटामिन मिल सकें और उनके सहयोग से लाल रक्त कण निर्बाध गति से बनते रहें। इसके अलावा पेट के कीड़ों के कारण भी शरीर में खून की कमी हो जाती है। इससे बचने के लिए हमें खाद्य पदार्थों और पीने के पानी में स्वच्छता का पूरा-पूरा ध्यान रखना होगा। इसी के साथ-साथ हमें एनीमिया तथा अन्य रोगों से बचने के लिए घर तथा अपने आस-पास के परिवेश की सफाई तथा स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
प्रश्न 12.पेट में कीड़े कैसे प्रवेश करते हैं? इनसे बचने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए लिखिए?
उत्तर:प्रदूषित पीने के पानी और खाद्य-पदार्थों के माध्यम से कीड़े पेट में प्रवेश कर जाते हैं। इनके अलावा एक तरह के कीड़े और भी होते हैं जिनके अंडे अस्वच्छ जमीन की सतह पर पाए जाते हैं। इन अंडों से पैदा हुए लार्वे त्वचा के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और आँतों में घर बना लेते हैं। इनसे बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। जैसे; हम साफ-सुथरे शौचालय का प्रयोग करें, शौचालय से आने के बाद तथा खाने से पहले अपने हाथ-पैर अच्छी तरह धो लें, नंगे पैर न चलें आदि।
प्रश्न 13.ब्लड-बैंक में रक्तदान करने से क्या लाभ है?
उत्तर: रक्त कणों की उम्र कितने समय की होती है ? उसके बाद रक्त कण कैसे बनते हैं? स्पष्ट रूप से बताएँ।
उत्तर:सामान्य रूप से रक्त कणों की उम्र लगभग चार महीने की होती है। चार महीने होते-होते ये रक्त कण एक-एक कर समाप्त हो जाते हैं लेकिन इसी बीच नये रक्त कण लगातार बनते भी रहते हैं किंतु इन रक्त कणों को बनाने के लिए हमें कुछ तत्वों की जरूरत होती है, जैसे कि प्रोटीन, लौह तत्व और अनेक प्रकार के विटामिन। ये तत्व हम संतुलित तथा पौष्टिक आहार के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए हमें अपने भोजन में सब्जी, दाल, फल, दूध आदि को अवश्य सम्मिलित करना चाहिए।ब्लड-बैंक में रक्तदान करने से रक्त को काफी लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। मुसीबत के समय यदि किसी रोगी को अपेक्षित रक्त-समूह का खून नहीं मिल पाता है तो ब्लड-बैंक से उसके लिए खून दिलवाया जा सकता है ताकि उस रोगी की जान बच सके। इसलिए ब्लड-बैंक में रक्तदान करके किसी मुसीबत में पड़े रोगी की जान बचाई जा सकती है।
प्रश्न 14 रक्तदान को महादान क्यों कहा जाता है?
उत्तर:यह तो हम जानते हैं कि सभी मनुष्यों के शरीर को रक्त एक समान दिखते हुए भी एक ही नहीं होता है। चिकित्सा शास्त्र में रक्त को चार वर्गों में बाँटा गया है-A, B, AB और O किसी व्यक्ति के शरीर से अगर किसी दुर्घटना के कारण बहुत अधिक रक्त निकल जाता है तो उसके शरीर में किसी दूसरे व्यक्ति का रक्त चढ़ाया जाता है। किंतु उसके लिए दोनों व्यक्तियों के रक्त समूहों का मिलना अनिवार्य है। अगर उस व्यक्ति के रक्त समूह से उस समय किसी भी व्यक्ति का रक्त समूह नहीं मिलता है तो उसे रक्त नहीं दिया जा सकता और ऐसी स्थिति में उसकी मृत्यु हो सकती है। इसीलिए रक्तदान करने पर हमारा रक्त ब्लड बैंक में सुरक्षित रखा जाता है और ऐसी मुसीबत में किसी को उपयुक्त समूह का रक्त उपलब्ध करवाया जाता है। इस प्रकार हम रक्तदान करके अनेक लोगों की जान बचा सकते हैं। इसीलिए रक्तदान को महादान कहा जाता है।