कक्षा – ६ ( हिंदी कार्यपत्रिका )     पाठ -३ ( नादान दोस्त  )

पैरागान  कान्वेंट स्कूल

सैक्टर -24 बी ,चंडीगढ़

कक्षा – ६ ( हिंदी कार्यपत्रिका ) , पाठ -३ ( नादान दोस्त  )

1) कठिन शब्द

कार्निस  ,     पेचीदा  ,    जिज्ञासा  ,    हिकमत , प्रस्ताव ,  हिफाजत   ,  उधेड़बुन , आहिस्ता चिथड़े तकलीफ

2) शब्द अर्थ

कार्निस –    दीवार के ऊपर आगे बढ़ा हुआ भाग                                                            पेचीदा    – मुश्किल

तसल्लीदिलासा                                                                                                            फुर्र से    – शीघ्र ही

अधीरजिसमे धैर्य हो                                                                                              जिज्ञासाजानने की इच्छा    

  हिकमतउपाय                                                                                                             प्रस्तावसुझाव     

  उधेड़बुनसोच विचार                                                                                                     १० आहिस्ताधीरे

११  चिथड़ेफ़टे हुए                                                                                                              १२  तकलीफकष्ट 

१३ जोगकोशिश                                                                                                                 १४ यकायकअचानक

१५ सुधध्यान

 

3 सार

 

नादान दोस्तकहानी दो भाईबहन पर आधारित कहानी है। इस कहानी को प्रेमचंद जी ने लिखा है। केशव और श्यामा दो भाईबहन हैं। उनके घर के कार्निस के ऊपर चिड़िया ने अंडे दिए थे। वे चिड़िया के अंडों की सुरक्षा हेतु विभिन्न उपाय करते हैं। परन्तु उनके उपाय निरर्थक हो जाते हैं। चिड़िया अपने अंडे स्वयं ही तोड़ देती है। दोनों को बहुत पछतावा होता है। परन्तु बहुत देर हो चुकी होती है। वे दोनों अंडों की सुरक्षा के लिए अच्छे कार्य ही करते हैं। परन्तु ज्ञान और अनुभव की कमी के कारण वे उनकी बर्बादी का कारण बन बैठते हैं। प्रेमचंद ने इसीलिए उन दोनों को नादान दोस्त कहा है। यह कहानी हमें सीख देती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित कर लें कि जो आप कर रहे हैं, वह सही है या नहीं। केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों के लिए जो भी किया था यदि वे अपने मातापिता से एक बार पूछ लेते, तो शायद वे उन बच्चों को अपने सामने देख पाते।

 

प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1:केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?

उत्तर केशव और श्यामा छोटे बच्चे थे; इसलिए अंडों को देखकर उनके मन में अनेक प्रश्न उठते थे, वे अंडों के बारे में जानना चाहते थे और उनका अनुमान लगाते थे।

प्रश्न 2: अंडों के बारे में दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?

उत्तर केशव और श्यामा की माता जी घर के कामों में बहुत व्यस्त रहती थीं और उनके पिता के पास पढ़ाई-लिखाई का कार्य हुआ करता था। उन दोनों के सवालों का जवाब देने के लिए कोई नहीं रहा था इसलिए वे स्वयं ही एक दूसरे के सवालों का जवाब देकर तसल्ली दे दिया करते थे।

प्रश्न 3 अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि-‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?

उत्तर श्यामा ने अपनी माँ को सच बता दिया कि भईया ने अंडों को छुआ था। उसने डर के मारे माँ को सब कुछ सच-सच बता दिया।

प्रश्न 4: पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?

उत्तर केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा करने के लिए उनके नीचे चिथड़े लगा दिए थे। परन्तु कहा जाता है कि यदि चिड़िया के अंडों को छू लिया जाए तो वो अंडे गंदे हो जाते हैं। जिसे चिड़िया दुबारा सेती नहीं है। उनकी इसी नादानी के परिणामस्वरूप चिड़िया ने उन अंडों को घोंसले से गिरा दिया अब वो अंडे बेकार हो चुके थे, उनकी नादानी की वजह से अंडे बर्बाद हो गए।

प्रश्न 5: सही उत्तर क्या है?

अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि-

(क) वे माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।

(ख) माँ नहीं चाहती थीं कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।

(ग) माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।

उत्तर अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि-

(ग) माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।

प्रश्न 6: केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?

उत्तर  केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा:-

  1. सर्वप्रथम उन्होंने उनके आराम का ध्यान रखा। इसके लिए कपड़े का चिथड़ा बिछाया, जिससे उन्हें आरामदायक घोंसला दिया जा सके।
  2. उन्होंने अंडों के सिर पर एक टोकरी लगा दी जो उन्हें धूप से बचा सके।
  3. उन्होंने उनके दाना-पानी के लिए चावल के दाने व प्याली का इंतजाम किया जिससे माता-पिता (चिड़ा और चिड़िया) को घोंसला छोड़कर बार-बार अपने बच्चों से दूर बाहर न जाना पड़े।

प्रश्न 7: कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आईं और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।

उत्तर  बच्चों ने अंडों की रक्षा करने के लिए जो कार्य किए वे नादानी में हुए। क्योंकि वे अपने बालपन के कारण उन जानकारियों से अनजान थे। उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं था कि चिड़िया छुए अंडों को दुबारा नहीं सेती। यदि उन्हें इस बात का ज्ञान होता तो वो इस तरह की गलती कभी नहीं करते। क्योंकि जब उन्होंने अंडों को ज़मीन पर टूटा हुआ देखा तो माँ के बताने पर कि अंडे छूने से खराब हो जाते हैं, उन्हें अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। हम उन्हें गलत नहीं ठहरा सकते। इसलिए तो लेखक ने इसका नाम नादान दोस्त रखा है जो इस तथ्य को साबित करता है।

प्रश्न 8: पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?

उत्तर  माँ की हँसी का कारण बच्चों की नादानी व अज्ञानता थी। जब उन्होंने बच्चों से अंडों के टूटने का कारण पूछा तो बच्चों ने बड़ी मासूमयित से कहा कि उन्हें गद्दी देने के लिए अर्थात आरामदायक घोंसला देने के लिए उन्होंने उन्हें चिथड़ों के ऊपर रख दिया था, तो माँ का गुस्सा हँसी में बदल गया।

माँ को चाहिए था कि वो बच्चों की उस अज्ञानता को दूर करती जिसके कारणवश उनसे अंडो को छूने की गलती हुई थी; परन्तु वे उनकी अज्ञानता पर ही हँस पड़ी। बच्चें स्वयं ही पछता रहे थे। माँ को उन्हें समझाना चाहिए था यही सही था।

प्रश्न 9:माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?

उत्तर   माँ के सोते ही केशव और श्यामा अंडो की रक्षा के लिए टोकरी व दाना-पानी रखने के लिए बाहर निकल आए। परन्तु जब उन दोनों को बिस्तर पर ना पाकर माँ बाहर आ गई तो दोनों चुप हो गए क्योंकि अगर माँ को पता चला कि वो क्या कर रहें हैं तो उनकी पिटाई हो जाएगी।

प्रश्न 10 :  प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?

उत्तर   मेरे अनुसार इस कहानी का नाम नादान बचपन होना चाहिए क्योंकि ये कहानी उन बच्चों की है; जो अपने बल से एक ऐसी नादानी कर देते हैं। जिससे चिड़िया को अपने अंडो से हाथ धोना पड़ता क्योंकि यदि वे परिपक्व (समझदार) होते तो वे ऐसी नादानी नहीं करते।