पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – ८
बालमहाभारत
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 द्रोणाचार्य द्वारा बनाया गया चक्रव्यूह किसने तोड़ा?
उत्तर – द्रोणाचार्य द्वारा बनाया गया चक्रव्यूह अभिमन्यु ने तोड़ा।
प्रश्न-2 तेरहवें दिन अर्जुन को युद्ध के लिए किसने ललकारा?
उत्तर- तेरहवें दिन संशप्तकों (त्रिगर्ता) ने अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारा।
प्रश्न-3 तेरहवें दिन अर्जुन लड़ता हुआ किस दिशा की ओर चले गए?
उत्तर – तेरहवें दिन अर्जुन लड़ता हुआ दक्षिण दिशा की ओर चले गए।
प्रश्न-4 द्रोण ने कर्ण को अभिमन्यु पर हमला करने का कौन सा उपाय बताया?
उत्तर – द्रोण ने कर्ण के पास आकर कहा-“इसका कवच भेदा नहीं जा सकता। ठीक से निशाना साधकर इसके रथ के घोड़ों की रास काट डालो और पीछे की ओर से इस पर अस्त्र चलाओ।”
प्रश्न-5 अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से चक्रव्यूह भेदने के बारे में क्या कहा?
उत्तर – अभिमन्यु ने युधिष्ठिर से कहा-“महाराज, इस चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो मुझे आता है, पर प्रवेश करने के बाद कहीं कोई संकट आ गया तो व्यूह से बाहर निकलना मुझे याद नहीं है।”
प्रश्न-6 दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर – अभिमन्यु की बाण-वर्षा से व्याकुल होकर जब सभी योद्धा पीछे हटने लगे, तो वीर लक्ष्मण अकेला जाकर अभिमन्यु से भिड़ गया। वह वीर बालक भाले की चोट से तत्काल मृत होकर गिर पड़ा।
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 युधिष्ठिर ने सात्यकि के प्रसंग में धृष्टद्युम्न से क्या कहा?
उत्तर- युधिष्ठिर धृष्टद्युम्न से बोले–“द्रुपद-कुमार! आपको अभी जाकर द्रोणाचार्य पर आक्रमण करना चाहिए, नहीं तो डर है कि कहीं आचार्य के हाथों सात्यकि का वध न हो जाए।”
प्रश्न-2 धृष्टद्युम्न ने भीमसेन को क्या विश्वास दिलाया?
उत्तर – धृष्टद्युम्न ने कहा-“तुम किसी प्रकार का चिंता न करो और निश्चित होकर जाओ। विश्वास रखो कि द्रोण मेरा वध किए बिना युधिष्ठिर को नहीं पकड़ सकेंगे।”
प्रश्न-3 जब युधिष्ठिर को पता चला कि सात्यकि पर संकट आया हुआ है, तब उन्होंने क्या किया?
उत्तर – जब युधिष्ठिर को पता चला कि सात्यकि पर संकट आया हुआ है, तब वह अपने आसपास के वीरों से बोले-“कुशल योद्धा, नरोत्तम और सच्चे वीर सात्यकि आचार्य द्रोण के बाणों से बहुत ही पीड़ित हो रहे हैं। चलो, हम लोग उधर चलकर उस वीर महारथी की सहायता करें।”
प्रश्न-4 धृष्टद्युम्न के किस चाल के कारण कौरव-सेना तीन हिस्सों में बँटकर कमजोर पड़ गई?
उत्तर – धृष्टद्युम्न ने सोचा कि जयद्रथ की रक्षा करने हेतु यदि द्रोण भी चले गए, तो अनर्थ हो जाएगा। इस कारण द्रोणाचार्य को रोके रखने के इरादे से उसने द्रोण पर लगातार आक्रमण जारी रखा। धृष्टद्युम्न की इस चाल के कारण कौरव-सेना तीन हिस्सों में बँटकर कमजोर पड़ गई।
प्रश्न-5 सात्यकि ने धृष्टद्युम्न को भीष्म के बाण से किस प्रकार बचाया?
उत्तर – द्रोण ने क्रोध में आकर एक अत्यधिक पैना बाण चलाया। वह पांचालकुमार के प्राण ही ले लेता, यदि सात्यकि का बाण उसे बीच में ही पुनः न काट देता। अचानक सात्यकि के बाण रोक लेने पर द्रोण का ध्यान उसकी ओर चला गया। इसी बीच पांचाल-सेना के रथसवार धृष्टद्युम्न को वहाँ से हटा ले गए।
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 द्रोणाचार्य को किसने मारा?
उत्तर – द्रोणाचार्य को धृष्टद्युम्न ने मारा।
प्रश्न-2 जयद्रथ के वध के संबंध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से क्या कहा?
उत्तर – श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा-“अर्जुन! जयद्रथ सूर्य की तरफ़ देखने में लगा है और मन में समझ रहा है कि सूर्य डूब गया। परंतु अभी तो सूर्य डूबा नहीं है। अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का तुम्हारे लिए यही अवसर है।”
प्रश्न-3 श्रीकृष्ण अर्जुन से आचार्य द्रोण के संबंध में क्या बोले?
उत्तर – श्रीकृष्ण अर्जुन से बोले- “अर्जुन! कुछ कुचक्र रचकर ही इनको परास्त करना होगा। आज अगर परास्त न हुए तो ये हमारा सर्वनाश कर देंगे। इसलिए किसी को आचार्य के पास जाकर यह खबर पहुँचानी चाहिए कि अश्वत्थामा मारा गया।”
प्रश्न-4 कर्ण ने किस परिस्थिति में इंद्र की दी हुई शक्ति का प्रयोग किया और उसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर – घटोत्कच ने कर्ण को इतनी पीड़ा पहुँचाई थी कि वह आपे में न रहा और इंद्र की दी हुई शक्ति का, जिसे उसने अर्जुन का वध करने के उद्देश्य से यत्नपूर्वक सुरक्षित रखा था, घटोत्कच पर प्रयोग कर दिया। इससे अर्जुन का संकट तो टल गया, परंतु भीमसेन का प्रिय एवं वीर पुत्र घटोत्कच मारा गया।
प्रश्न-5 जयद्रथ का सिर कहाँ जा कर गिरा और उसके पश्चात क्या हुआ?
उत्तर- जयद्रथ के पिता राजा वृद्धक्षत्र अपने आश्रम में बैठे संध्या वंदना कर रहे थे तभी जयद्रथ का सिर ध्यानमग्न राजा की गोद में जा गिरा। ध्यान समाप्त होने पर जब वृद्धक्षत्र की आँखें खुली और वह उठे, तो जयद्रथ का सिर उनकी गोद से जमीन पर गिर पड़ा और उसी क्षण बुढे वृद्धक्षत्र के सिर के भी सौ टुकड़े हो गए।
प्रश्न-6 आचार्य द्रोण की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर – उनका पुत्र अश्वत्थामा मारा गया। यह सुनकर वह विचलित हो गए। उन्होंने युधिष्ठिर से पूछा। युधिष्ठिर के मुँह से यह सुनते ही चारों ओर हाहाकार मच गया और इसी हाहाकार के बीच धृष्टद्युम्न ने ध्यानमग्न आचार्य की गरदन पर खड्ग से जोर का वार किया। आचार्य द्रोण का सिर तत्काल ही धड़ से अलग होकर गिर पड़ा और द्रोण की मृत्यु हो गई ।
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 मद्रराज शल्य का वध किसने किया?
उत्तर – मद्रराज शल्य का वध युधिष्ठिर ने किया।
प्रश्न-2 शकुनि का वध किसने किया?
उत्तर – शकुनि का वध सहदेव ने किया।
प्रश्न-3 कर्ण के बाद कौरव – सेना का सेनापति किसे नियुक्त किया गया?
उत्तर – कर्ण के बाद कौरव – सेना का सेनापति मद्रराज शल्य को नियुक्त किया गया।
प्रश्न-4 द्रोण के मारे जाने पर कौरव-पक्ष के राजाओं ने किसको सेनापति मनोनीत किया?
उत्तर – द्रोण के मारे जाने पर कौरव-पक्ष के राजाओं ने कर्ण को सेनापति मनोनीत किया।
प्रश्न-5 कृपाचार्य ने दुर्योधन को सांत्वना देते हुए क्या कहा?
उत्तर – कृपाचार्य ने दुर्योधन को सांत्वना देते हुए कहा-“राजन्! अब तुम्हारा कर्तव्य यही है कि पांडवों से किसी प्रकार संधि कर लो। अब युद्ध बंद करना ही श्रेयस्कर होगा।”
प्रश्न-6 दुःशासन की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर- अर्जुन की रक्षा करता हुआ भीम, अपने रथ पर उसके पीछे-पीछे चला और दोनों एक साथ कर्ण पर टूट पड़े। जब दुःशासन ने यह देखा, तो उसने भीम पर बाणों की वर्षा कर दी। उसको भीम ने एक ही धक्के में जमीन पर गिरा दिया और उसका एक-एक अंग तोड़-मरोड़ डाला।
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 पांडवों का एक मात्र चिन्ह कौन रह गया था?
उत्तर – पांडवों का एक मात्र चिन्ह उत्तरा का पुत्र परीक्षित रह गया था।
प्रश्न-2 परीक्षित किसका पुत्र था?
उत्तर – परीक्षित उत्तरा और अभिमन्यु का पुत्र था।
प्रश्न-3 मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन ने कौरव-सेना का सेनापति किसे बनाया?
उत्तर – मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन ने आसपास खड़े हुए लोगों से कहकर अश्वत्थामा को कौरव-सेना का विधिवत् सेनापति बनाया।
प्रश्न-4 शोक-विह्वल द्रौपदी ने युधिष्ठिर से क्या कहा?
उत्तर – युधिष्ठिर के पास आकर द्रौपदी ने कहा -“क्या इस पापी अश्वत्थामा से बदला लेनेवाला हमारे यहाँ कोई नहीं रहा है?”
प्रश्न-5 मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन के सामने अश्वत्थामा ने क्या प्रतिज्ञा की?
उत्तर – मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए दुर्योधन के सामने अश्वत्थामा ने दृढ़तापूर्वक प्रतिज्ञा की कि वह आज ही रात में पांडवों को नष्ट करके रहेगा।
प्रश्न-6 अश्वथामा कौन था और उसने पांडवों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा क्यों ली?
उत्तर – अश्वथामा द्रोणाचार्य का पुत्र था। उसने पांडवों को नष्ट करने की प्रतिज्ञा इसलिए ली थी क्योंकि पांडवों ने कुचक्र रच कर उसके पिता द्रोणाचार्य का वध किया था।
प्रश्न / उत्तर
प्रश्न-1 धृतराष्ट्र ने भीम के प्रतिमा के साथ क्या किया?
उत्तर – धृतराष्ट्र ने प्रतिमा को भीम समझकर ज़ोरों से छाती से लगाकर कस लिया और प्रतिमा चूर-चूर हो गई।
प्रश्न-2 युधिष्ठिर स्वंय को दोषी क्यों मान रहे थे और उन्होंने क्या निश्चय किया?
उत्तर – युधिष्ठिर के मन में यह बात समा गई थी कि हमने अपने बंधु-बांधवों को मारकर राज्य पाया है, इससे उनको भारी व्यथा रहने लगी। अंत में उन्होंने वन में जाने का निश्चय किया, ताकि इस पाप का प्रायश्चित हो सके।
प्रश्न-3 धृतराष्ट्र ने भीम की प्रतिमा को ज़ोर से क्यों कस लिया?
उत्तर – वृद्ध राजा ने प्रतिमा को भीम समझकर ज्योंही छाती से लगाया, त्योंही उन्हें याद हो आया कि मेरे कितने ही प्यारे बेटों को इस भीम ने मार डाला है। इस विचार के मन में आते ही धृतराष्ट्र क्षुब्ध हो उठे और उसे ज़ोरों से छाती से लगाकर कस लिया। प्रतिमा चूर-चूर हो गई।
प्रश्न-4 गांधारी ने द्रौपदी से क्या कहा?
उत्तर – गांधारी ने द्रौपदी से कहा-“बेटी, दुखी न होओ। मैं और तुम एक ही जैसी हैं। हमें सांत्वना देनेवाला कौन है? इस सबकी दोषी तो मैं ही हूँ। मेरे ही दोष के कारण आज इस कुल का सर्वनाश हुआ है। पर अब अपने को भी दोष देने से क्या लाभ?”
प्रश्न-5 श्रीकृष्ण ने धृतराष्ट्र के पास भीमसेन के स्थान पर लोहे की एक प्रतिमा क्यों भिजवाई?
उत्तर- धृतराष्ट्र के हाव-भाव से श्रीकृष्ण ने अंदाजा लगाया कि इस समय धृतराष्ट्र पुत्र-शोक के कारण क्रोध में हैं। इससे भीम को उनके पास भेजना ठीक न होगा। अतः उन्होंने भीमसेन को तो एक तरफ़ हटा लिया और उसके स्थान पर लोहे की एक प्रतिमा दृष्टिहीन राजा धृतराष्ट्र के आगे लाकर खड़ी कर दी।