पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – 4
पाठ – 1 (जय – जय भारत माता )
1) कठिन शब्द
1.हिमालय,
2 स्नेह,
3 स्रोतों,
4 आँचल,
5 चिरकाल,
6 पावन,
7 आँगन,
8 अंधकार
2) शब्दार्थ पृष्ठ क्रमांक 8 से स्वयं करें।
3) निम्नलिखित शब्दों से वाक्य स्वयं बनाओ ।
सदा :-
पावन :-
स्नेह :-
यश :-
स्त्रोत :-
4.सोचिए और बताइए
क) हमको हरा-भरा कौन रखता है?
उ०:-हिमालय हमको हरा-भरा रखता है।
(ख) हमारा राष्ट्रीय पुष्प क्या है?
उ०:- हमारा राष्ट्रीय पुष्प कमल है।
लिखित कार्य
1. दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनिए
(क) ‘हिया’ का अर्थ होता है
(अ)हृदय
(ख) धानी रंग किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(स)आँचल
(ग) कविता के रचयिता हैं
(ब) मैथिलीशरण गुप्त
- कविता की पंक्तियाँ पूरी कीजिए
(क) ऊँचा हिया हिमालय तेरा उसमें कितना स्नेह भरा,
दिल से अपने आग दबाकर रखता हमको हरा-भरा।
(ख) कमल खिलें तेरे पानी में धरती पर हैं आम फले,
इस धानी आँचल में देखो कितने सुंदर भाव पले
- लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) किसका हिया ऊँचा है?
उ० हिमालय का हिया ऊंचा है।
(ख) हिमालय के हृदय में क्या भरा है?
उ० हिमालय के हृदय में स्नेह भरा है।
(ग) कमल कहाँ खिले है?
उ०- कमल हिमालय के पानी में खिले हैं।
(प) कविता का क्या नाम है?
उ० कविता का नाम- ‘जय-जय भारतमाता है।
4.दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(क) हिमालय के बारे में कवि ने क्या बताया है?
उ० कवि ने हिमालय के बारे में बताया है कि इसके हृदय में स्नेह भरा है, इसके जल में कमल खिले हैं।
(ख) ‘चिरकाल’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
उ० ‘चिरकाल’ शब्द चंद्र एवं सूर्य के लिए प्रयोग किया गया है।
- निम्नलिखित पक्तियों का भावार्थ लिखिए
कमल खिलें तेरे पानी में, धरती पर है आम पले।
इस पानी आँचल में देखो, कितने सुंदर भाव पले।।
भावार्थ : कवि भारतमाता के गुणगान में कहते है कि है मा तेरे पानी में कमल खिले है तथा धरती पर आम फलें है। इसी पानी आँचल को ध्यान से देखें तो इसमें सुंदर भाव पते हुए हैं।
भाषा बोध (व्याकरणिक ज्ञान)
1.दिए गए शब्दों के लिए दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
कमल – जलज , पंकज
पानी -जल , नीर
सूर्य – दिनकर , दिवाकर
चंद्रमा – मयंक , चाँद
- दिए गए विशेषण शब्दों के लिए कविता से उचित विशेष्य ढूँढ़कर लिखिए-
ऊँचा – हिमालय. धानी – आँचल
लाल – दिशा. पावन- जल
सुंदर – फूल. खिले – कमल
- दिए गए शब्दों के लिए विलोम शब्द लिखिए
ऊंचा – नीचा. स्नेह – घृणा
सुंदर- कुरूप. पावन -अपावन
अंधकार – प्रकाश. यश – अपयश