पैरागान कान्वेंट स्कूल
कक्षा – सातवीं
पाठ – २ ( दादी माँ )
कठिन शब्दों के अर्थ –
- शुभचिंतक – भला चाहने वाले
- प्रतिकूलता – विपरीतता |
- सन – रूई
- सद्यः- अभी-अभी
- निस्तार- उद्धार
- वात्याचक्र तूफान
- मुँह में राम बगल में छुरी – ऊपर से मित्रता का नाटक करने वाले
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
कहानी से
प्रश्न 1.
लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की और किन-किन बातों की याद आ जाती है?
उत्तर
जब लेखक को मालूम हुआ कि दादी माँ की मृत्यु हो गई है तो उसके सामने दादी माँ की सभी यादें सजीव हो उठीं। साथ ही उसे अपने बचपन की स्मृतियाँ-गंधपूर्ण झागभरे जलाशयों में कूदना, बीमार होने पर दादी का दिन-रात सेवा करना, किशन भैया की शादी पर औरतों द्वारा गाए जाने वाले गीत और अभिनय के समय चादर ओढ़कर सोना और पकड़े जाना, रामी चाची की घटना आदि भी याद आ जाती हैं।
प्रश्न 2.
दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गई थी?
उत्तर-
दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई, क्योंकि कपटी मित्रों एवं शुभचिंतकों की बाढ़ आ गई । इन गलत मित्रों की संगति ने सारा धन नष्ट कर डाला। इसके अलावा दादा के श्राद्ध में भी दादी माँ के मना करने के बावजूद लेखक के पिता जी ने बेहिसाब दौलत व्यर्थ की। यह संपत्ति घर की नहीं थी, कर्ज में ली गई थी। दादी माँ के मना करने के बावजूद उन्होंने नहीं माना जिससे घर की माली हालत डाँवाडोल हो गई।
प्रश्न 3.दादी माँ के स्वभाव का कौन-सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों?
उत्तर- दादी माँ के स्वभाव में अनेक पक्ष थे, जो हमें अच्छे लगते थे, मसलन दादी माँ का सेवा, संरक्षणी, परोपकारी व सरस स्वभाव आदि का पक्ष हमें सबसे अच्छा लगता है, क्योंकि इन्हीं के कारण ही वे दूसरों का मन जीतने में सदैव सफल रही। लेखक के बीमार होने पर दादी द्वारा उसकी सेवा करना, रामी चाची की बेटी की शादी पर उसके घर जाकर उसकी सहायता करना व पिछला बकाया ऋण माफ़ करना, पिता जी की आर्थिक तंगी देखकर दादी की निशानी सोने का कंगन उन्हें देना आदि दर्शाता है कि दूसरों की मदद करना ही उनके जीवन का प्रमुख उद्देश्य था। मुझे दादी की सहृदयता और कोमलता वाला पक्ष सबसे अच्छा लगता है।