mahabharat ,अज्ञातवास, प्रतिज्ञापूर्ति,विराट का भ्रम

अज्ञातवास

प्रश्न / उत्तर

प्रश्न-1  राजकुमार उत्तर ने बृहन्नला से क्या कहा?

उत्तर:राजकुमार उत्तर ने बृहन्नला से कहा”बृहन्नला, मुझे बचाओ इस संकट से! मैं तुम्हारा बड़ा उपकार मानूँगा ।”

 

प्रश्न-2 दुर्योधन को कैसे पता चला कि पांडव मत्स्य देश में छिपे हैं?

उत्तर – हस्तिनापुर में कीचक के मारे जाने की खबर से दुर्योधन ने अनुमान लगाया कि पांडव मत्स्य देश में ही छिपे हैं और हो-न-हो कीचक का वध भीम ने ही किया होगा।

 

प्रश्न-3  सुशर्मा कौन थे और वह दुर्योधन का साथ क्यों देना चाहते थे?

उत्तर:सुशर्मा त्रिगर्त देश के राजा थे। वह दुर्योधन का साथ इसलिए देना चाहते थे क्योंकि मत्स्य देश के राजा विराट उसके शत्रु थे और इस अवसर का लाभ उठाकर वह उससे अपना पुराना बैर चुकाना चाहते थे।

 

प्रश्न-4 जब दुर्योधन को पता चला की औरत के वेश में अर्जुन है तो उसने कर्ण से क्या कहा?

उत्तर – दुर्योधन कर्ण से बोला- “हमें इस बात से क्या मतलब कि यह औरत के भेष में कौन है! मान लें कि यह अर्जुन ही है। फिर भी हमारा तो उससे काम ही बनता है। शर्त के अनुसार उन्हें और बारह बरस का वनवास भुगतना पड़ेगा।”

 

प्रश्न-5  कौरवों ने विराट राज्य पर आक्रमण करने के लिए कौन सी योजना बनाई?

उत्तर:कौरवों की विराट राज्य पर आक्रमण करने की यह योजना थी कि  राजा सुशर्मा दक्षिण की ओर से हमला करे और जब विराट अपनी सेना लेकर उसका मुकाबला करने जाए, तब ठीक इसी मौके पर उत्तर की ओर से दुर्योधन अपनी सेना लेकर अचानक विराट नगर पर छापा मार दे।

प्रश्न-6  युधिष्ठिर ने विराट को कैसे सांत्वना दी?

उत्तर-  कंक (युधिष्ठिर) ने विराट को सांत्वना देते हुए कहा-” राजन् | चिंता न करें। मैं भी अस्त्र-विद्या सीखा हुआ हूँ। मैंने सुना है कि आपके रसोइये वल्लभ, अश्वपाल ग्रंथिक और तंतिपाल भी बड़े कुशल योद्धा हैं। मैं कवच पहनकर रथारूढ़ होकर युद्धक्षेत्र में जाऊँगा।आप भी उनको आज्ञा दें कि रथारूढ़ होकर मेरे साथ चलें। ”

 

प्रश्न-7  कीचक के बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर रानी सुदेष्णा का भाई कीचक बड़ा ही बलिष्ठ और प्रतापी वीर था। मत्स्य देश की सेना का वही नायक बना हुआ था और अपने कुल के लोगों को साथ लेकर कीचक ने बूढ़े विराटराज की शक्ति और सत्ता में खूब वृद्धि कर दी थी। कीचक की धाक लोगों पर जमी हुई थी। लोग कहा करते थे कि मत्स्य देश का राजा तो कीचक है, विराट नहीं।

 

प्रश्न-8  दुर्योधन ने पांडवों के अज्ञातवास के बारे में अपना क्या विचार राजसभा में प्रकट किया?

उत्तर- दुर्योधन ने राजसभा में कहा-“मेरा ख़याल है कि पांडव विराट के नगर में ही छिपे हुए हैं। मुझे तो यही ठीक लगता है कि मत्स्य देश पर हमला कर देना चाहिए। यदि पांडव वहाँ होंगे, तो निश्चय ही विराट की तरफ़ से हमसे लड़ने आएँगे। यदि हम अज्ञातवास की अवधि पूरी होने से पहले ही उनका पता लगा लेंगे, तो शर्त के अनुसार उन्हें बारह बरस के लिए फिर से वनवास करना होगा। यदि पांडव विराट के यहाँ न भी हुए, तो भी हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। हमारे तो दोनों हाथों में लड्डू हैं।”

 

प्रतिज्ञापूर्ति

प्रश्न / उत्तर

प्रश्न-1  शंख की ध्वनि को सुनकर द्रोण ने क्या शंका व्यक्त की?

उत्तर-  द्रोण ने कहा-“मालूम होता है, यह तो अर्जुन ही आया है।”

 

प्रश्न-2  दुर्योधन ने पितामह भीष्म को संधि के संबंध में क्या कहा?

उत्तर- दुर्योधन ने कहा-“पूज्य पितामह! मैं संधि नहीं चाहता हूँ। राज्य तो दूर रहा, मैं तो एक गाँव तक पांडवों को देने के लिए तैयार नहीं हूँ ।”

 

प्रश्न-4 कौरव-सेना को आपस में ही वाद-विवाद तथा झगड़ा करते देख भीष्म ने क्या कहा?

उत्तर – कौरव-सेना को आपस में ही वाद-विवाद तथा झगड़ा करते देख भीष्म बोले “यह आपस में बैर-विरोध या झगड़े का समय नहीं है। अभी तो सबको एक साथ मिलकर शत्रु का मुकाबला करना है।”

 

प्रश्न-5 रण भूमि में अर्जुन ने आचार्य द्रोण और पितामह भीष्म की कैसे वंदना की?

उत्तर – अर्जुन ने गांडीव पर चढ़ाकर दो-दो बाण आचार्य द्रोण और पितामह भीष्म की ओर इस तरह से छोड़े जो उनके चरणों में जाकर गिरे। इस प्रकार अर्जुन ने अपने बड़ों की वंदना की।

प्रश्न-6  युद्ध के पश्चात अर्जुन ने राजकुमार उत्तर से क्या कहा?

उत्तर-  युद्ध के पश्चात अर्जुन ने राजकुमार उत्तर से कहा “उत्तर! अपना रथ नगर की ओर ले चलो। तुम्हारी गायें छुड़ा ली गई हैं। शत्रु भी भाग खड़े हुए हैं। इस विजय का यश तुम्हीं को मिलना चाहिए। इसलिए चंदन लगाकर और फूलों का हार पहनकर नगर में प्रवेश करना।”

 

प्रश्न-7  युद्ध भूमि में अर्जुन को औरत के भेष में देख कर कर्ण क्या बोला?

उत्तर-कर्ण बोला-“पांडव जुए के खेल में जब हार गए थे, तो शर्त के अनुसार उन्हें बारह बरस का वनवास और एक बरस अज्ञातवास में बिताना था। अभी तेरहवाँ बरस पूरा नहीं हुआ है और अर्जुन हमारे सामने प्रकट हो | गया है, तो डर किस बात का है? शर्त के अनुसार पांडवों को फिर से बारह बरस वनवास और एक बरस अज्ञातवास में बिताना होगा।”

विराट का भ्रम

प्रश्न / उत्तर

प्रश्न-1 राजकुमार उत्तर को अर्जुन से कंक के बारे में क्या मालूम हो चुका था?

उत्तर – राजकुमार उत्तर को अर्जुन से मालूम हो चुका था कि कंक तो असल में युधिष्ठिर ही हैं।

 

प्रश्न-2 राजकुमार उत्तर के बारे में राजा विराट को क्या भ्रम हुआ?

उत्तर – राजकुमार उत्तर के बारे में राजा विराट को भ्रम हुआ कि विख्यात कौरव-वीरों को उनके बेटे ने अकेले ही लड़कर जीत लिया!

 

प्रश्न-3  कंक के मुख से खून बहता देखकर राजकुमार उत्तर क्यों चकित रह गया?

उत्तर –  कंक के मुख से खून बहता देखकर राजकुमार उत्तर चकित रह गया क्योंकि उसे अर्जुन से मालूम हो चुका था कि कंक तो असल में युधिष्ठिर ही हैं।

 

प्रश्न-4  अंत:पुर में राजकुमार उत्तर को न पाकर जब राजा ने पूछताछ की तो उन्हें क्या पता चला?

उत्तर- अंत:पुर में राजकुमार उत्तर को न पाकर राजा ने पूछताछ की तो स्त्रियों ने बड़े उत्साह के साथ बताया कि कुमार कौरवों से लड़ने गए हैं।

 

प्रश्न-5  राजा विराट को शोकातुर होते देखकर कंक ने उन्हें दिलासा देते हुए क्या कहा?

उत्तर- राजा को इस प्रकार शोकातुर होते देखकर कंक ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा-” आप राजकुमार की चिंता न करें। बृहन्नला सारथी बनकर उनके साथ गई हुई है।”

प्रश्न-6  पुत्र की विजय हुई, यह जानकर विराट को कैसा लगा?

उत्तर – पुत्र की विजय हुई, यह जानकर विराट, आनंद और अभिमान के मारे फूले न समाए। उन्होंने दूतों को असंख्य रत्न एवं धन पुरस्कार के रूप में देकर खूब आनंद मनाया।

 

प्रश्न-7 युधिष्ठिर (कंक) द्वारा बार – बार बृहन्नला की चर्चा का क्या परिणाम हुआ?

उत्तर – युधिष्ठिर (कंक) द्वारा बार – बार बृहन्नला की चर्चा सुनकर विराट झुंझला गए और क्रोध में अपने हाथ का पासा युधिष्ठिर (कंक) के मुँह पर दे मारा। पासे की मार से युधिष्ठिर के मुख पर चोट लग गई और खून बहने लगा।

 

प्रश्न-8  कंक के मुख से खून बहता देखकर राजकुमार उत्तर ने क्या किया?

उत्तर- कंक के मुख से खून बहता देखकर राजकुमार उत्तर चकित रह गया। उसे अर्जुन से मालूम हो चुका था कि कंक तो असल में युधिष्ठिर ही हैं। उसने क्रोध में पूछा- पिता जी, इनको किसने यह पीड़ा पहुँचाई है?” पिता की बात सुनकर उत्तर काँप गया। उत्तर के आग्रह करने पर उन्होंने कंक के पाँव पकड़कर क्षमा याचना की।

 

प्रश्न-9  युधिष्ठिर ने दूतगण को प्रतिज्ञा की अवधि पूरी होने के विषय में क्या कहा?

उत्तर- युधिष्ठिर ने कहा -“दूतगण शीघ्र ही वापस जाकर दुर्योधन को कहो कि वह पितामह भीष्म और जानकारों से पूछकर इस बात का निश्चय करे कि अर्जुन जब प्रकट हुआ था, तब प्रतिज्ञा की अवधि पूरी हो चुकी थी या नहीं। मेरा यह दावा है कि तैरहवाँ बरस पूरा होने के बाद ही अर्जुन ने धनुष की टंकार की थी।”